नई दिल्ली / तमिलनाडु के तूतीकोरिन से 14 प्रतिनिधियों के समूह ने 1.55 लाख स्वैच्छिक पत्रों वाला एक अनुरोध पत्र नई दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय कार्यालय (पीएमओ) को सौंपा है। इन पत्रों में अनुरोध किया गया है कि स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टर को फिर से परिचालन शुरू करने की अनुमति दी जाए। प्रतिनिधियों के समूह में संयंत्र के बंद होने से प्रभावित संबद्ध पक्ष षामिल हैं। संयंत्र के आसपास रहने वाले ग्रामीण, अनुबंधित कर्मचारी, सीएसआर लाभार्थी, किसान, ट्रक मालिक, ग्राहक, विक्रेता और डाउनस्ट्रीम उद्योगों ने भी संयंत्र को खोले जाने के लिए खदान मामलों के राज्य मंत्री हरिभाई पर्थीभाई चौधरी और पर्यावरण, वन एवं तापमान परिवर्तन मामलों (एमओईएफसीई) के केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्शवर्धन के साथ मुलाकात की। पीएमओ को सौंपे गए 1.55 लाख स्वैच्छिक पत्रों में उन सभी प्रतिनिधियों के आधार नंबर और हस्ताक्षर षामिल हैं जो इस क्षेत्र में संयंत्र के परिचालन का समर्थन कर रहे हैं।
स्टरलाइट कॉपर को 6 महीने के लिए बंद कर दिया गया था जिसका तूतीकोरिन और उसके आसपास के विभिन्न समुदायों पर सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव पड़ा है। संयंत्र में 4,000 से अधिक लोग प्रत्यक्ष रूप से काम करते हैं और इनके जरिये अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 35,000 परिवारों की आजीविका चलती है जिनमें से ज्यादातर को अब अपनी वित्तीय जरूरतें पूरी करने के लिए संघर्श का सामना करना पड़ रहा है।
तूतीकोरिन जिले के साउथ वीरापंडियापुरम के पूर्व पंचायत अध्यक्ष एस पोनराज ने संयंत्र के बंद होने और पीएमओ की टीम से उम्मीद के बारे में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘कुछ ग्रामीणों को गुमराह किया गया और इससे अनावष्यक रूप से समस्या बढ़ गई। हम जन्म से ही इस संयंत्र के आसपास रह रहे हैं और कभी भी हमें किसी चिकित्सीय समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। संयंत्र की वजह से स्वास्थ्य को लेकर कभी कोई समस्या पैदा नहीं हुई। हमारी समस्या रोजगार समाप्त होना और बेरोजगार होना है, जो इस संयंत्र के बंद होने की वजह से हुई है। अब हमें समस्या का सामना करना पड़ रहा है और हम अनुरोध करते हैं कि स्मेल्टर को फिर से खोला जाए ताकि हमें फिर से काम मिल सके और अपने परिवारों की आजीविका चला उसकें।’
स्टरलाइट कॉपर संयंत्र को पुनः चालू किए जाने के लिए प्रतिनिधित्व कर रहे समूह में ष्शामिल साउथ वीरापंडियापरम निवासी दीपा ने कहा, ‘संयंत्र के बंद होने से हम पर सभी स्तरों से प्रभाव पड़ा है। हमें अपने रोजगार खोने पड़े जिससे बेरोजगारी की समस्या बढ़ी और समुदाय के तौर पर हम पर बोझ बढ़ गया है। हमारे क्षेत्र की महिलाएं और लड़कियां उन विभिन्न लाभार्थी योजनाओं का हिस्सा थीं जिन्हें कंपनी द्वारा मुहैया कराया जा रहा था, लेकिन अब यह सभी लाभ मिलने बंद हो गए हैं। बाल देखभाल और छात्रों को वित्तीय सहायता के साथ बच्चों को भी इस संयंत्र से बड़ी मदद मिल रही थी। हम इस संयंत्र को पुनः खोले जाने का समर्थन करते हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि वे गतिविधियां फिर से शुरू हों जिससे हमारा समाज प्रभावित न हो।’
दीपा ने कहा, ‘स्टरलाइट कॉपर संयंत्र हमारा मित्र है। हमें कुछ लोगों ने इस संयंत्र का समर्थन करने से बार बार रोका। कुछ दिन पहले भी हमसे इसके समर्थन में पत्र नहीं लिखने को कहा गया था। फिर भी हम इसके समर्थन में पत्र लिखे क्योंकि हमें उममीद है कि हमारी शिकायत सुनी जाएगी और संयंत्र को खोला जाएगा।’