मथुरा। गिर्राज जी की तलहटी में श्री गिर्राज सेवा ट्रस्ट द्वारा आयोजित छप्पन भोग को जिसने देखा वह निहारता ही रह गया। ठाकुर का श्रंगार इतना मनोहारी था कि जो भी छप्पन भोगस्थल पर आता, वहां से हटने का नाम न लेता।वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार ने बताया कि आयोजकों द्वारा व्यवस्था में सहयोग करने से इस बार किसी प्रकार की अप्रिय घटना नही घटी यद्यपि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी।श्री गिर्राज सेवा ट्रस्ट के संस्थापक सदस्य ओमप्रकाश किलेवालों ने बताया कि चूंकि इस छप्पन भोग में प्रसाद गाय के घी में बनता है इसलिए प्रचुर मात्रा में गाय के घी की आवश्यकता होती है।इस बार इतने अधिक गाय के घी की उपलब्धता के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।उन्होंने बताया कि साधु सेवा के बाद गिर्राज महाराज के जयकारों से दर्शन जब खुले तो गिर्राज परिक्रमा के लिए उठा हर कदम छप्पन भोग स्थल की ओर मुड ़गया।ओमप्रकाश किलेवालों के अनुसार छप्पन भोग दर्शन के लिए आए एक लाख से अधिक कृष्ण भक्तों को प्रसाद भी वितरित किया गया।
ठाकुर का गर्भ गृह हर दृष्टि से अलौकिक था। ठाकुर की पोशाक में लगे हीरे,मोती, पन्ना, पुखराज, नीलम आदि रत्न जहां विद्युत प्रकाश में दिव्य पुंज मालूम पड़ते थे वहीं चन्द्रमा की धवल चांदनी में यह टिमटिमाते तारों का दृश्य उपस्थित कर रहे थे। कमल के पुष्प पर विराजमान ठाकुर का विगृह जहां सतरंगी दिखाई पड़ रहा था वहीं राधारानी के प्रिय मोर गर्भ गृह में चार चांद लगा रहे थे। विदेशों से मंगाए गए पुष्प जहां पुष्पवाटिका का सा माधुर्य प्रकट कर रहे थे वहीं ठाकुर के अरोगने के लिए लगाया गया छप्पन भोग अप्रतिम सौंदर्य प्रस्तुत कर रहा था।
गर्भ गृह के सामने बनाया गया कमल के पुष्प का तालाब छप्पन भोग उत्सव में जहां चार चांद लगा रहा था वहीं भजन संध्या में प्रस्तुत किये गए व्रज के लोकगीत वातावरण को धार्मिकता का पूर्ण स्वरूप प्रदान कर रहे थे।पूर्व में प्रसाद को 1111 टोकरियों के माध्यम से मानव श्रंखला बनाकर छप्पनभोग स्थल तक पहुंचाया गया था जहां उसे बड़े करीने से लगाया गया था। कुल मिलाकर लगभग दस घंटे के इस कार्यक्रम में जो भी उधर आया छप्पन भोग एवं उसके आसपास की सजावट से मंत्रमुग्ध हो गया। कार्यक्रम का समापन आधी रात बाद हुई आरती से जब हुआ तो गिर्राज महाराज के जयकारों से वातावरण गूंज उठा। कार्यक्रम के दो दिन पहले जहां लाखों भक्तों ने ठाकुर केडोले के साथ गिर्राज जी की सामूहिक परिक्रमा लगाई वहीं एक दिन पहले सोमवार को लगभग पांच घंटे तक वैदिक मंत्रों के मध्य गिर्राज जी का अभिषेक किया गया।